एक देश की बात है, जिसका नाम था यंगिस्तान! यंगिस्तान में अचानक चर्चा शुरू हो गयी कि आधा इस्तान भूखा है, पूरा इस्तान बेरोजगार है, इस्तान की लड़कियां पिंजरे की मैना है, इस्तान में शोषण होता है, इस्तान के ऊपर पापी गिद्धों का पसरा डैना है। आखिर इस्तान को अचानक हुआ क्या? इस्तान में सब लड़के रॉकेट बनाते थे, लड़कियां रोटी और घरोंदे बनाती थी। जो लड़के कुछ और बनाने की सोचते, उन्हें सरकार नौकर बना देती। नौकर टूटी चारपाई पर, फटी हुई रजाई के तर ठंड गुजार लेते। लेकिन फिर अचानक एक बार घोर परिवर्तन आया और धरती पर फिर से डायनासॉर विचरने लगे।
डायनासोर राकेट के दुश्मन बताए जाते हैं। उन्होंने खेती-बारी भी नष्ट कर दी, उद्योग धंधों की गाँव मार ली। अब चारों ओर बदहाली थी और डायनासॉर थे। लिहाज़ा कहना पड़ा कि इस संसार में केवल दुख ही दुख है, इस दुख का कारण है इच्छा तृष्णा वासना….
अब डायनासॉर के प्रवक्ता का कहना है कि यंगिस्तान की यंगी कहीं और है….दबी पड़ी है…लोगों को पता चले कि ये भूखा-नंगा इस्तान, इसकी बेकार पीढियां कभी कितनी यंग थी। अब वो भी सही कह रहे हैं कि इस्तान कभी सोने की घड़ी थी और अब धूपघड़ी बन गयी तो कैसे बनी?
खुदाई चालू थी और इधर गीत गाये गए कि ‘वाह रे तेरी खुदाई, तुझे बेचारगी न रास आयी।’ रंग बिरंगी चीजें धरती से निकल रही हैं। एक डायनासॉर ने पुकारके कहा कि ‘ओ ऑरेंज कलर की जेब वाले तूने जब ये पत्थर नहीं छोड़े तो तूने रोटियां और बोटियाँ क्या छोड़ी होंगी। जब तूने थके-हारों के खेल-खिलौने नहीं छोड़े तो तूने क्या गृहस्थों की संपत्ति छोड़ दी होगी? तू ही तो अपनी ऑरेंज जेब में भूख और बदहाली लेकर आया था। जिसने पत्थर नहीं बख्शे वो इंसान क्या बख्शेगा?
गरीबी दूर करने का सबसे पहला स्टेप है कि हम जाने कि हम कितने अमीर थे। फिर हमें ये जानना होगा कि हम क्यों गरीब हुए। फिर हमें ये समझना होगा कि हम कैसे गरीबी दूर करें और अंत में ये भी समझना होगा कि क्या करें और क्या न करें कि दुबारा गरीबी न आये। ऐसे कोई अमीर थोड़े ही होता है? अमीरीपना पालना पड़ता है, खुद को अमीर बनाये रखना पड़ता है।
डायनासॉर खुदाई कर रहे हैं और अमीरी के सारे दस्तावेज बाहर निकल रहे हैं। आज जो इस्तान की चल संपत्ति, अचल संपत्ति, भावनात्मक संपत्ति और मानव संपत्ति खुदाई में दर्शन दे रही है, इन्हें फिर अपनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
बांकी, एक सप्ताह में मंगल और बृहस्पत को उपवास करना शुरू किजिये, दिन के चार जागृत घंटे मशीनों और गैजेट से दूर रहें, सात्विक जीवन अपनाएं, शरीर का भली भांति प्रयोग करें, बेवजह सजावट व दिखावट से बचें तो आप पाइयेगा कि महंगाई डायन अपनी अर्थी के साथ खुद को उठा ले गयी।
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