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मूर्ख-पत्रिका के पन्ने

अहम मूर्खस्मि: अपनी मूर्खता महान

कभी-कभी हम गलतियां और मूर्खताएं करते हुए इतने आगे बढ़ जाते हैं कि वापस आने में कई गुना मेहनत लग सकती है। न केवल श्रम व्यर्थ होगा, रास्ता मुश्किल होता जाएगा, एक बात भी साबित होती है कि वो सतत मूर्ख हैं! इससे अच्छा है कि आप अपने तर्क पर बने रहें क्योंकि ये वो समय है जब आपको प्रक्रिया के लिए तो दोषी ठहराया जा सकता है पर प्रवृति या प्राथमिकता के लिए नहीं।

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केवल सोद्देश्य रचनात्मकता / साहित्यिक समीक्षाएं व आलोचनाएँ। प्रस्तुति एवं Copyright © 2022 Mrityunjay Mishra