भविष्य क्या होता है? भूत की लंगोट!
भविष्य को क्या होना चाहिए? कमोट के पीछे फ़्लस का बटन! सौ पेरसेंट अक्सेसीबल!
देखिये साहब! भारत में जिस तरह ताबड़तोड़ भविष्य रोपे गए हैं, तो भविष्य फलेंगे भी फूलेंगे भी! और इन्हें फलित करना हम सबकी जिम्मेदारी है! जब तक भारत में भेड़ का भविष्य नहीं होगा, तब तक भेड़िये का भी भविष्य कैसे होगा! और अगर भेड़िये का भविष्य नहीं हुआ, तो भेड़ों का फ्यूचर ड़ूब जाएगा! उनकी आबादी इतनी बढ़ जाएगी कि उनके लिए नौकरी-छोकरी और अनाज-पानी तक कम पड़ जाएंगे! नहीं! भेड़ों की आबादी बढ़ना समस्या है क्योंकि वो जंगल साफ करने लगते हैं! भेड़ियों को अगर भेड़ कम पड़ने लगेंगे तो वो ऐसे भले-मानस हैं और इस तरह वर्ग-विभेद से दूर हैं कि एक-दूसरे को खाकर संतुष्टि कर लेते हैं! विश्वास कीजिये, एक बार भी भेड़-भाव, क्षमा कीजिये, भेद-भाव नहीं करते हैं कि सजातीय को नहीं खाना चाहिए! भेड़ियों के लिए भविष्य इसलिए भी जरूरी है कि वे जंगल की विविधता में एकता की पहचान की शलाका लिए खड़े मिलते हैं! एक तरफ जहां भेड़ें हरी घास की आग्रही हैं, और जंगल की पेड़-पत्तियों की शह पर हरी गुंडागर्दी फैलाने में जुटी हैं वहीं दूसरी तरफ रक्त का रंग भूलते इस जंगल को भेड़िये लाल लहू के रूप में विविधता की पूजा करने पर मजबूर करते हैं! भेड़ियों की बढ़ती आबादी को देखते हुए ये जरूरी है कि भेड़ियों की जरूरतों का भी, हसरतों का भी, हरकतों का भी ध्यान रखा जाये! देखिये बॉस! भेड़िए-पना को गलती या सही, जो भी कारण हो, प्रचारित किया गया है! अब समय को हम फेर नहीं सकते! हरी चीजों को खत्म करने से भेड़ें बहुत बदनाम हो चुकी हैं! पर्यावरण-विद उन्हें देखकर मिर्गी खाते हैं, इसलिए अब एक तरह से ये जरूरी हो गया है कि, भविष्य की अनिवार्यता सबके लिए, ये तथ्य हम स्वीकार करें और हर भेड़िये का उद्धार करें!
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