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नयी पीढ़ी, नया नजरिया

विस्फोट के पीछे

विस्फोट क्या होता है? असल में ये एक अनियंत्रित अथवा नाप-तौल की सीमा से परे, क्रिया अथवा प्रतिक्रिया होती है। आपने देखा होगा कि विस्फोट असल में दहलाने के प्रयास होते हैं। ऐसी होनी, कि लोग दहल जाएं! ऐसी प्रतिक्रिया कि किसी लक्ष्य को हिला दे। छोटी प्रतिक्रिया, छोटे-छोटे असर तो होते रहते हैं पर लोगों का उनपर ध्यान नहीं जाता है।

विस्फोट! जब भी किसी सकारात्मक प्रभाव वाले विस्फोट की बात होगी तो उसमें अमर बलिदानी, क्रांतिवीर भगत सिंह का नाम अवश्य आएगा! इन्होंने जो विस्फोट किया था वो इसलिए नहीं कि वो अंग्रेजों को ये जताना चाहते थे कि,’ तुम भारतीयों को परेशान करोगे तो वो तुम्हें परेशान करेंगे!’ उनके कृत्य को इस तौर पर लिया भी नहीं जाना चाहिए। उन्होंने विस्फोट के माध्यम से जनता को, इतिहास को भविष्य से जोड़ने वाले अध्येता को, संस्कारों को गढ़ने वाले मानव: संस्कारों के प्रणेता को अपनी ओर ध्यान देने को विवश किया। उन्होंने चाहा कि ये वो सच्चाई सुनें और उनकी जुबानी सुनें जिस सच्चाई को कई जिह्वा शब्द दे ही नहीं सकी, कुछ पीड़ाओं से परिचय जरूरी थे, जो व्याकरण के सीमाओं में बंध नहीं सकी।

बहरहाल, भारत ने एक विस्फोट में कई ध्वनियां मुखरित पायीं और इसकी कीमत एक युवा ने बलिदान देकर चुकाई। एक विस्फोट से बड़ा कोई मंच नहीं होता, काश! इसपर हिंसक होने का तंज नहीं होता।

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